Thursday, 18 December 2014

आज कुछ नही है मेरे शब्दों के गुलदस्ते में , कभी-कभी मेरी ख़ामोशियाँ भी पढ़लिया करो !

आज कुछ नही है मेरे शब्दों के गुलदस्ते में ,

कभी-कभी मेरी ख़ामोशियाँ भी पढ़लिया करो !

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