Bajrang Das's blogs
Monday, 4 May 2015
अब इस से भी बढ़कर गुनाह-ए-आशिकी क्या होगा जब रिहाई का वक्त आया..तो पिंजरे से मोहब्बत हो चुकी थी..
अब इस से भी बढ़कर गुनाह-ए-आशिकी क्या
होगा ..
जब रिहाई का वक्त आया.. तो पिंजरे से
मोहब्बत हो चुकी थी
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