Monday, 4 May 2015

वही आंगन, वही खिड़की, वही दर याद आता है... मैं जब भी तन्हा होता हूँ, मुझे घर याद आता है।।

वही आंगन, वही खिड़की, वही दर याद आता है...
मैं जब भी तन्हा होता हूँ, मुझे घर याद आता है।।
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